छोटे से बना बड़ा आदमी
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मधुवन |
पूरे इतिहास को अगर देखा समझा जाए तो शक्तिशाली व्यक्ति --महाराजा महारानी सम्राट सामंत और जमीदार। प्रधान सरपंच प्रमुख सभासद निकाय अध्यक्ष विधायक और सांसद। डीएम और एसपी। सबके हल्के है और अपनी अपनी शक्तियां। दरबार तो आज यहां भी लगते हैं। दरबारियों में विशेष शक्तियां हासिल करने की चालें आज भी चली जा रही हैं। - मनोज चौधरी
गांव के सेठ साहूकार करोड़ीमल की हवेली के बगल की झोपड़ी गरीबदास की थी। गरीबदास अपनी अर्धांगिनी रामप्यारी के साथ सुख चैन रहते थे। पर रामप्यारी के मन में एक कसक थी कि काश, उसकी भी एक हवेली होती , जिसका एक अट्टा करोड़ीमल की हवेली से ऊंचा होता तो सेठानी को खूब चिढ़ाती। जब भी वह अपने मन की बात पति से कहती तो गरीबदास उसे समझता था कि अरे भाग्यवान हम करोड़ीमल से उन्नीस हैं। ये बात गरीबदास बुलंद आवाज में कहता। इसे सुनकर सेठ करोड़ीमल विचलित हो जाता। गरीबदास की बात सुनते सुनते करोड़ीमल के कान पक गए एक दिन वह गरीबदास की झोपड़ी पर पहुंच गया। बोला, गरीबदास तू मुझसे कब से उन्नीस हो गया। गरीबदास ने मुस्कराते हुए खाट का सिरहाना करोड़ीमल को बैठने के छोड़ते हुए कहा, पहले तनिक बैठ जाओ। पानी पत्ता पियो। इतनी छोटी बात के लिए परेशान होने की ज्यादा जरूरत नाय। रामप्यारी ने अदब से पानी का गिलास आगे बढ़ाया और घूंघट की ओट से खिलखिला उठी। बोली सेठ जी आज हमारी झोपड़ी में। आगे कुछ और बोलती तब तक गरीबदास ने मिठाई लाने का इशारा कर दिया। पर सेठ जी ने गर्दन हिला कर न करते हुए फिर अपना सवाल फिर से दाग दिया। गरीब दास ने हंसते हुए कहा कि सेठ जी काऊ दिन फिर। ई बात कोऊ बड़ी नाय है। कई दिन गुजर गए तो हरकारा भेज कर करोड़ी मल ने गरीबदास को अपनी हवेली बुलबाया। सेठ को संतुष्ट किए बिना ही गरीबदास लौट आया। पर वह अपनी पत्नी से बार बार खुद को सेठ से उन्नीस बताना नहीं भूलता ।जिसे करोड़ीमल भी अब बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
रातों की नींद और दिन का सुकून गायब हो गया तो करोड़ीमल ने पंचायत बुलाने की ठन ली और गांव में भी की करवा दी। गांव के मुखिया मनसुखा की चौपाल पर पंच इकठ्ठा हुए। शनिचरा को सर्वसम्मति से पंच चुना गया। शनिचरा ने दोनों पक्षों को पंचायत में हाजिर होने का हुक्म सुनाया। पहले करोड़ीमल को पंचों ने सुना तो पंचायत में सन्नाटा छा गया। रोज कमाकर खाने वाले गरीबदास की हिम्मत तो देखिए। कानाफूसी का दौर शुरू हो गया। कुछ ने तो गरीबदास को मिलने वाला दंड तक तय कर दिया। कहां राजा भोज कहां गंगू तेली। जिसकी ड्योढी पर सब झुकते थे। उसको गरीबदास ने ललकारा। सफाई देने के लिए शनिचरा ने गरीबदास को पंचायत के बीच हाजिर होने के लिए कहा। गरीबदास बोला, पंचों, एक बात बताओ सेठ जी दिन में तीन बार पचमेल मिठाई के साथ रोटी खाते है, पर शाकभाजी से हम भी तो दो टेम रोटी खाते हैं। सेठ मखमल के कपड़े पहनते हैं तो हमहु प्योर खादी पहनते हैं। नंगे तो हम भी नाय घूम रहे। सेठ हवेली में रहते है तो हम अपनी झोपडी । गरीबदास ने सेठ की हवेली जाने का किस्सा भी पंचायत को सुनाया और बताया कि जब वह करोड़ीमल के घर गया तो सेठ जी ने उसे जमीन पर बैठने का इशारा कर दिया। पानी तक अदब से नहीं दिया, जबकि करोड़ीमल मेरे घर आए तो खाट का सिरहाना बैठने के लिए दिया। सम्मान से रामप्यारी ने पानी दिया। घर परिवार की कुशल भी पूछी।
अब पंच दंग। सम्मान में गरीबदास बड़ा निकला और सेठ भले ही पंचों की नजर में इक्कीस था। बात तो मान सम्मान की थी, सो बाजी गरीबदास के हाथ लगी।
फैसला सुनकर पंच चौपाल से चले गए पर करोड़ीमल अकेला ही चौपाल बैठा सोच रहा था कि वह गरीबदास से गरीब है, ।
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